Sunday, February 5, 2012

एक नव वृक्ष ....

"वो चिडिया जो रोज डाल पर बैठती थी, आज नहीं आई, वैसे भी आजकल वह रोज नहीं आती.... यूँ तो मधुर स्वरों (डाल पर,चिडिओं का) का गुंजन ही मेरे जीवन का संगीत है, पर शायद संगीत कि जीवंतता भी यही है - मौन स्पर्श,एक ह्रदय और थोड़ी सी पीड़ा ...."

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