Monday, February 27, 2012

mSakhi: voices from the field-II


‘कम से कम माँ को तो बचा लो’ 

दिनांक ३ फरवरी , गाँव सुनरई आशा रीता रोज की तरह गृह भ्रमण पर थी और गर्भवती महिलाओं के घर पर बैठ कर हाल चल ले रही थी तभी उनके मोबाइल की घंटी बजी जो इसी पूर्वे की एक गर्भवती महिला रेशमा का था |फोन पर दर्द से करहने आवाज के साथ ही महिला ने रीता को घर आने की बात की |रीता को आवाज से महिला ज्यादा कास्ट में लगी तो रीता तुरन्त उस महिला के घर चल दी | घर पर जा के देखा की महिला का सारा पानी बह चूका था |घर में कोई नही था पति रात में लड़ाई करके छोटे लड़के को लेकर बोम्बे जा चूका था |रीता को समझते देर न लगी की आगे क्या बुरा हो सकता है और रीता ने कहा की तुम अस्पताल चलो देर करने से तुमको भी खतरा है बच्चा तो खतरे मे है ही| महिला पति से नाराज थी बूली बच्चे की हमे चिंता नही मरे चाहे जिन्दा रहे हम अस्पताल नही जाना चाहते है |रीता के बहुत समझाने पर वो तैयार हो गई और रीता वाहान की तलाश में गाँव में चली गई | वहाँ का व्यवस्थ करके जब वो लौटी तो देखा की महिला दर्द से परेसान है और गाँव की बुजुर्ग महिलाये झोला छाप डॉक्टर कयूम को बुला ली है रीता ने कहा की इसको अस्पताल ले जाने दो ये खतरे में है और कौय्म जी कुछ नही कर पाए गे | तो महिलाओं ने बताया तुमको अपने पैसों की पड़ी है बचा हम यही पैदा करवा लेंगे |रीता को लगा की अब महिलाओं को समझाना मुश्किल है तो वो डॉक्टर से बोली आप और बाकी सब एक बार मेरा मोबाइल में क्या बताया गया है देख लो और पानी बह्जाने के खतरे के बारे में सभी को मोबाइल से दिखाया |डॉक्टर बात मान गया लेकिन महिलाओं ने कयूम से एन्जेकसन लगवा कर महिला के बच्चे को पैदा करवाने के लिए दबाव बनाया | डॉक्टर कयूम के इंजेक्सन लगाने से बच्चा आधा बहार आ गया |और फूल गया |रीता ने महिलाओं से कहा की कम से कम माँ को तो बचा लो | महिलाओं के परंपरागत सोच के करण बच्चा आज जीवित नही है लेकिन रीता के जिद पर महिला बाद में अस्पताल आ गई और अब वो ठीक है | रीता खुश है की वो बच्चे को नही लेकिन माँ को बच्चा पाई |

mSakhi:voices from the field - I


mसखी संग रीता 

दिनांक १ फरवरी ,गाँव अमवा मोलवी के नव्वापुरवा में आशा रीता रोज की तरह गृह भ्रमण पर थी की एक घर पर बात करके पता चला की पड़ोस के घर में रहने वाली गर्भवती कलीमुन्निषा की तबियत रात से खराब है लेकिन उसकी सास अस्पताल नही ले गई | इतना सुनते ही आशा रीता कलीमुन्निषा के घर पहुच गई और उसका हाल चल लिया |पता चला की उसका 8 वा माह चल रहा है और रात से उसको तेज दर्द है साथ ही खून भी आ रहा है | रीता को तुरन्त समझते देर ना लागी की कुछ खतरा है उसने कहा की तुमको अस्पताल चलकर दिखाना होगा नही तो बच्चे को खतरा हो सकता है| सास ने कहा की हमारे पास पैसे नही है ये कोई नई बात नही है ऐसा सभी गर्भवती महिलाओं के साथ होता है थोडा खून निकलना खतरा नही है |लेकिन रीता नही मानी और सास को व बहु को समझाने लगी लेकिन सास नही मानी और पडोसी महिलाओ को बुला ली |सभी बुजुर्ग महिलाओं ने सास की बात का समर्थन किया और बोली की भूत प्रेत का चक्कर है मोलवी साहब से झाड फूक करवालो ठीक हो जायेगी |डॉक्टर केस बिगाड़ देंगे |तब रीता ने सभी महिलाओं को मोबाइल दिखाया और उसमे खतरों के लक्षणों के बारे में बताया | गर्भवती बोली मेरे पास २००० रूपए है तब सभी महिलाओं ने सास को समझाया की आशा बहु ठीक कह रही है इसको अस्पताल में दिखा दो तब सास ने बहु को २००० दिए और बोली जाओ दिखा दो |कलीमुन्निषा को अस्पताल में दिखाया गया तो डॉक्टर ने रीता को मरीज को सही समय पर अस्पताल में लाने के लिए प्रसंसा की |इलाज के बाद कलीमुन्निषा ठीक है और अपने बच्चे के जन्म लेने की तैयारी कर रही है |

Sunday, February 5, 2012

एक नव वृक्ष ....

"वो चिडिया जो रोज डाल पर बैठती थी, आज नहीं आई, वैसे भी आजकल वह रोज नहीं आती.... यूँ तो मधुर स्वरों (डाल पर,चिडिओं का) का गुंजन ही मेरे जीवन का संगीत है, पर शायद संगीत कि जीवंतता भी यही है - मौन स्पर्श,एक ह्रदय और थोड़ी सी पीड़ा ...."